काल किसे कहते है, काल की परिभाषा क्या है, काल के उदाहरण क्या हैं, काल के सभी भेदों और उपभेदों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उनके उदाहरण सहित इस पोस्ट में दी गई है। इस चैप्टर को पढ़नें के बाद आप दिए हुए वाक्यों में काल पहिचानने में समर्थ हो जाएंगे। काल का अध्ययन हिन्दी व्याकरण में वाक्य संरचना के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, Hindi में Kaal की जानकारी होने से आप वाक्यों में घटित होने वाली क्रियाओं के समय की पहिचान कर सकते हैं, जैसे कि वाक्य में बताया हुआ कार्य करना है, या हो चुका है, या अभी भी जारी है। अतः व्याकरण की दृष्टि काल का हिन्दी में अति महत्व है। Hindi में Tense से सबंधित कई प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड परीक्षाओं में भी पूछे जाते है। Kaal in Hindi की परिभाषा भेद उनके उदाहरण सहित इस पोस्ट में नीचे दी गई है।
काल (Kaal in Hindi): काल का शाब्दिक अर्थ होता है “समय”, अर्थात क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का ज्ञान हो उसे ‘काल‘ कहते हैं। ‘काल‘ संस्कृत का एक शब्द है, काल को प्रायः ‘यम‘ (देव) का पर्याय माना जाता है। समय के आधार पर Hindi में Kaal तीन प्रकार के होते हैं- वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यत् काल।
क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध होता है, उसे काल कहा जाता है। काल का शाब्दिक अर्थ होता है ‘समय‘, अर्थात क्रिया के उस रूपांतर को काल कहा जाता है जिससे उस कार्य के होने का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का ज्ञान होता हो।
उपर्युक्त वाक्यों को पढ़ने पर हमें पता चलता है, कि प्रथम वाक्य में जाने की क्रिया वर्तमान समय में चालू है। दूसरे वाक्य को पढ़ने से मालूम पड़ता है कि जाने की क्रिया बीते हुए समय (भूतकाल) में हो चुकी है। और तीसरे वाक्य में प्रतीत होता है कि जाने की क्रिया आने वाले समय (भविष्य) में होगी। इस आधार पर काल मुख्यतः तीन होते हैं- वर्तमान (अभी जो चल रहा है), भूत (बीता हुआ), और भविष्य (आनेवाला)।
समय के आधार पर काल के हिन्दी व्याकरण में 3 भेद होते हैं- वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यत् काल। इसी प्रकार अंग्रेजी व्याकरण में भी काल (Tense) के तीन ही भेद होते हैं- Present, Past and Future। जबकि संस्कृत व्याकरण में काल विभाजन ‘लकार‘ के आधार पर होता है, अर्थात वाक्यों में क्रियाओं का समय बताने के लिए 10 लकारों का प्रयोग होता है।
जो समय चल रहा है, उसे वर्तमान काल कहते हैं। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप से कार्य के वर्तमान समय में होने का ज्ञान हो उसे वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों को पढ़ने से पता चलता है कि इन वाक्य में होने वाले कार्य वर्तमान समय में हो रहे है या अभी अभी खत्म हुए है। वर्तमान Kaal in Hindi है।
पहचान: वर्तमान काल के वाक्यों के अंत में है, हैं, हूँ, हो आदि शब्द आते हैं।
वर्तमान काल के छः (6) भेद होते हैं- सामान्य वर्तमान काल, अपूर्ण या तत्कालिक वर्तमान काल, पूर्ण वर्तमान काल, संदिग्ध वर्तमान काल, संभाव्य वर्तमान काल, पूर्ण सातत्य वर्तमान काल।
वर्तमान काल के उदाहरण सहित भेद:
| सामान्य वर्तमान काल | राधा जाती है। |
| तत्कालिक वर्तमान काल | राधा जा रही है। |
| पूर्ण वर्तमान काल | राधा जा चुकी है। |
| संदिग्ध वर्तमान काल | राधा जाती होगी। |
| संभाव्य वर्तमान काल | राधा जाती हो। |
| पूर्ण सातत्य वर्तमान काल | वह जाती रही है। |
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया का सामान्य रूप से होना पाया जाए, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण के लिए जैसे-
क्रिया के जिस रूप से कार्य के होते रहने का बोध होता है, उसे तत्कालिक वर्तमानकाल कहते हैं। या क्रिया के जिस रूप से पता चले कि क्रिया अभी चालू है, उदाहरण के लिए, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से कार्य अभी अभी पूर्ण हुआ प्रतीत होता है, उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। या क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी-अभी पूर्ण होने का ज्ञान होता है, उसे भी पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण के लिए, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में कार्य के होने में संदेह पाया जाए, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण के लिए, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में कार्य होने की संभावना रहती है, उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण के लिए, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात होता है कि क्रिया पहले से आरंभ होकर वर्तमान में लगातार चल रहे है, उसे पूर्ण सातत्य वर्तमान काल कहते हैं। या जिन वाक्यों के अंत में ता रहा है, ती रही है, ते रहे हैं, ता रहा हूँ आदि शब्द आते हैं वे वाक्य पूर्ण सातत्य वर्तमान काल में होते हैं। जैसे-
जो समय बीत चुका है, उसे भूतकाल कहते हैं, जैसे-
भूतकाल के छह (6) भेद हैं- सामान्य, आसन्न, पूर्ण, अपूर्ण, संदिग्ध और हेतु-हेतुमद् भूतकाल।
भूतकाल के उदाहरण सहित भेद:
| सामान्य भूतकाल | राधा गयी। |
| आसन्न भूतकाल | राधा गयी है। |
| पूर्ण भूतकाल | राधा गयी थी। |
| अपूर्ण भूतकाल | राधा जा रही थी। |
| संदिग्ध भूतकाल | राधा गयी होगी। |
| हेतु-हेतुमद् भूतकाल | यदि श्याम आता, तो राधा जाती। |
क्रिया के जिस रूप से साधारणत: काम का बीते हुए समय में होना पाया जाए, जैसे-
इससे पहचाना जाता है कि काम भूतकाल में शुरू होकर अभी-अभी समाप्त हुआ है, जैसे-
आसन्न का शाब्दिक अर्थ होता है ‘निकट‘ अर्थात ऐसी क्रियाएं जो भूतकाल में आरंभ होकर वर्तमान काल के निकट समाप्त होती हैं उन क्रियाओं को आसन्न भूतकाल कहते हैं।
इस रूप से यह पता चलता है कि काम भूतकाल में पूरा हो गया था, जैसे-
इसमें काम के भूतकाल में जारी रहने का पता चलता है, जैसे-
इसमें क्रिया के भूतकाल में होने पर संदेह किया जाता है, जैसे-
इसमें भूतकाल की क्रिया किसी कारण पर आधारित होती है, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय के बोध हो, उसे भविष्यत् काल कहते हैं, जैसे-
भविष्य काल के चिन्ह – ‘गा’, ‘गे’ ‘गी’ इसके चिह्न हैं।
भविष्यत् काल के चार (4) भेद हैं- सामान्य, सम्भाव्य, सातत्यबोधक और हेतु-हेतुमद् भविष्यत् काल।
भविष्यत् काल के उदाहरण सहित भेद:
| सामान्य भविष्यत् काल | मैं खेलूँगा। |
| सम्भाव्य भविष्यत् काल | शायद वह चला जाए। |
| सातत्यबोधक भविष्यत् काल | मैं आपके काम आता रहूँगा। |
| हेतु-हेतुमद् भविष्यत् काल | यदि बर्षा होगी, तो फसल अच्छी होगी। |
भविष्य में होने वाली क्रिया के सामान्य रूप को सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं, जैसे-
क्रिया के जिस रूप से भविष्य में कार्य होने की सम्भावना हो, उसे सम्भाव्य भविष्यत् काल कहते हैं। इसे संदेह भविष्यत् काल भी कहते हैं। जैसे-
जिस क्रिया रूप से भविष्य में भी कार्य के जारी रहने का बोध हो, उसे सातत्यबोधक भविष्यत् कहते हैं। जैसे-
क्रिया के जिस रूप से किसी विशेष परिस्थिति या कारण के होने पर आने वाले समय में कार्य हो, तो वह हेतु-हेतुमद् भविष्यत् काल में आता है। जैसे-